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मूर्त अमूर्त

मूर्त   अमूर्त    दो  ,  एक    ही   ब्रह्म  रुप साकार    निराकार   का    न   भेद अनुभूति    की     व्यापक    चेतना देती    दोनों    को    एक   समान   महत्व एक    के    अभाव    में    दूजा   अपूर्ण  परमात्मा   और    आत्मा    का    संबंध   अटूट मार्ग     अनेक    ,   साध्य   एक न     कोई    बाधा    विघ्न    विनाशक

रोज एक शाम

अब   कुछ   लिखना   का   मन   नहीं   करता  है  एकटक    टकटकी    बाँधे    मौन    अविरत

क्या कहती थी मन की मानसी

निशा   की    चुनर   असंख्य   तारों   से   सजकर किसको   ये   शगुन   भेंट   चढ़ाती राह   में   बार   अनगनित   दीपक  किसकी    प्रतीक्षा    को   बारम्बार   अकुलाती ? रात   घने    अंधेरे    तम   में    डूबा   विश्व  स्वप्नलोक    में     जब    विचरे   खुले   नयनालोक    से    दिपदिप   ये कौन   किसके   सपने    देखे  ?

बार - बार लौट आती हूँ

भावों    विचारों   को   सहज   पिरोती  हूँ ।

एक गिलास पानी

व्याकुल   था   मन   कई    घंटों    से टपकते   पसीने   से   तरबतर तपती    गर्मी   की   झुलस   में एक   गिलास   पानी   दिया आपने    मुझे   और    मेरी    प्यास   बुझी उर   में   एक   ताजी   श्वास   का  झोंका   समाया 

तू कब लौटे का मेरे भूले

उम्मीदों   की    छाँहों   में  ओ  परदेसी  अब   लौट   चल   अपने   गाँव  में सुबहा   जो   तू   निकला   घर   से अँखियाँ   रस्ता    देख   रही   तब   से सबुका   था   मन   जगजाहिर   न  किया    था    हमनें   हर   पल   माँगी    दुआ   यहीं   रब   से याद   आयेगी   कभी   तुझे   कदमों   के पीछे     छुटी    सूनी    गलियाँ

ध्यान शून्य

गहराई   को   पाने   के   लिए  दरख्तों    की    असल     तक पहुँचना    होता    है  । खुद    को    झाँकना    होता   है । कान   लगा    आँखें   मूँदे भीतर    की   आवाज   को    सुनना   होता  है । मर्म   तक   पहुँचने   के   लिए    खुद   को

नदियाँ गाती है

सुनो  ,   नदियाँ   गाती   है  । चुपचाप   कान   लगाकर   किभी सुनना   ,  नदी   तुम्हें   कोई   न   कोई  गीत   गुनगुनाती    मिलेगी  । जीवन    का    राग    उड़ेलती    हुई  बतरस   से   बातें   करती  हुई   मिलेगी   तुम्हें   एक   नदी  जरा    गौर   से   सुनना

जयतु आदिशक्ति जगदंबा

  जयतु    आदिशक्ति    जगदंबा जयतु   ममतामयी   विश्वजननी करुणानिधि   परमकृपालु   परमेश्वरी जय   जगजननी   रक्षिका समस्त  विश्वव्यापिनी