ध्यान शून्य
गहराई को पाने के लिए
दरख्तों की असल तक
पहुँचना होता है ।
खुद को झाँकना होता है ।
कान लगा आँखें मूँदे
भीतर की आवाज को सुनना होता है ।
मर्म तक पहुँचने के लिए खुद को
रिक्त करना होता है ,
अमृत के लिए पात्र होना होता है ।
कुछ सुनने के लिए कुछ जानने के लिए
ध्यान शून्य होना होता है ।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें
आप सभी सुधी पाठकों के सुझावों / प्रतिक्रियाओं / टिप्पणियों का हार्दिक स्वागत व अभिनंदन है ।