कुछ भी

शांत  सागर   में   छिप   गई   गहराइयों   सा ,

उत्तेजित   शोर   मचाती   चंचल  तरंग   ज्वार   लहरों  का ।

टिप्पणियाँ

  1. क्या बात है यार! बस दो लाइनें, लेकिन कितना कुछ कह गईं। आपने सागर की शांति में छिपे तूफ़ान को जिस तरह से महसूस करवाया, मैं तो वहीं रुक गया। ऐसा लगा जैसे बाहर सब ठहरा हुआ है, लेकिन अंदर लहरें उफान मार रही हैं। कभी-कभी हम भी बाहर से शांत दिखते हैं, लेकिन अंदर खलबली मची होती है।

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