नदियाँ गाती है

सुनो  ,   नदियाँ   गाती   है  ।

चुपचाप   कान   लगाकर   किभी

सुनना   ,  नदी   तुम्हें   कोई   न   कोई 

गीत   गुनगुनाती    मिलेगी  ।

जीवन    का    राग    उड़ेलती    हुई 

बतरस   से   बातें   करती  हुई  

मिलेगी   तुम्हें   एक   नदी 

जरा    गौर   से   सुनना

वह    जीवन    आलाप    गाती   मिलेगी 

गति   में   संगीत   का   सुमधुर  प्रवाह  मिलेगा

कोलाहल   या   एकांत   हर   क्षण   वो

नदी    कोई    तान    छेड़ती   सी   मिलेगी

नदी   अक्सर    तुमसे    कुछ   कहती   है

जरा    ध्यान   देकर   सुनना

नदियाँ    गाती   है ।

टिप्पणियाँ

  1. जब मैं इस कविता को पढ़ रहा था, तो हर शब्द जैसे बहती धारा में बहता चला गया। ऐसा लगा जैसे नदी सच में कुछ कह रही हो, पर हमें ही सुनना नहीं आता। कितनी सादगी से इतना गहरा मतलब कह दिया! नदी का बहाव, उसकी चुप्पी, उसका गुनगुनाना, सब कुछ इस कविता में ज़िंदा हो गया।

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