मुक्तमाल
जब एक दिन इस रोज की खींचतान में मुक्तमाल टूटकर बिखर जायेंगी कुछ मोती नजरों से बचकर बंद अंधेरे में छिपे रहे जायेंगे , शायद वे दोबारा मिल भी जाए तो उपेक्षा में वे एक बार पुनः
जीवन का एक महत्वपूर्ण अध्याय स्वाध्याय ।