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मैया आदिशक्ति शेरोंवाली

मैया    मेरी    शेरोंवाली     जिनके   चरणकमलों   में    विराजे     शक्ति     अनन्त    ब्रह्माण्ड    की   ये    सारी जिनकी    मुखमण्डल   की   शोभा   से नित    झलकती    है    ममता     स्नेह    अपार जिनसे   मिला   जीवन   ,    जिनसे   पाई    पाँव   जमाने    को    भूमि  ,   जिनकी    कृपा    से   ये

निराशा में आशा

दरख्तों   घासों   और  इन  दीवारों   पर   होते  होते    दोपहरी   की   चिलचिलाती   धूप   ढल   गई  शाम   ढलते -  ढलते   फलक   से   उतरा कोई    जगमगाता   नूर   फिर    धीरे -  धीरे  पग   दो   पग   बढ़े   रंगत - ए - शाम  जवाँ   हुई  आसमाँ   पे   चाँद   सितारों   की   महफिल   क्या  खूब   सजी   बहती   नदियों   पर   चाँदनी   का    दर्पण